Wednesday, August 02, 2023

जो तुम छैल छला

जो तुम छैल छला बन जाते, परे अँगुरियन राते
मों पोंछत गालन के ऊपर, कजरा देत दिखाते
घरी-घरी घूँघट खोलत में, नजर सामने आते
ईसुर दूर दरस के लाने, ऐसे काए ललाते

                   -ईसुरी

Saturday, March 23, 2019

वसीम बरेलवी

ज़रा सा क़तरा कहीं आज अगर उभरता है
समुंदरों ही के लहजे में बात करता है

शराफ़तों की यहाँ कोई अहमियत ही नहीं
किसी का कुछ न बिगाड़ो तो कौन डरता है

-वसीम बरेलवी

Thursday, March 21, 2019

बेटियाँ

बेटियाँ शुभ कामनाएँ हैं
बेटियाँ जातक कथाएँ हैं
बेटियाँ जीनत हदीसों की
बेटियाँ गुरुग्रंथ की वाणी
बेटियाँ वैदिक ॠचाएँ हैं
जिनमें खुद भगवान बसता है
बेटियाँ वे वंदनाएँ हैं

-अजहर हाशमी